Monday, November 12, 2018

छत्तीसगढ़ चुनाव: पहले चरण में सुस्त मतदान, तीन ख़ास बातें


छत्तीसगढ़ चुनाव: पहले चरण में सुस्त मतदान, तीन ख़ास बातें




छत्तीसगढ़ में पहले चरण की 18 सीटों के लिए मतदान सोमवार को धीमी रफ़्तार से शुरू हुआ.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, मतदान के शुरुआती घंटों में 14 फ़ीसदी वोटिंग दर्ज की गई है. हालांकि अभी ये शुरुआती तस्वीर है. मुक़म्मल आंकड़े मतदान ख़त्म होने के बाद ही सामने आएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, दोनों की ही सोमवार को छत्तीसगढ़ में चुनावी रैलियां हैं.

राज्य के माओवाद प्रभावित कई इलाक़ों में वोटिंग मशीनों की ख़राबी के कारण मतदान शुरू करने में देरी की ख़बरें भी मिली हैं.

भानुप्रतापपुर विधानसभा के घोड़दा, कनेचुर, बुदेली, भोंडिया, सतनामी पारा (सम्बलपुर), सलिहापारा 82, साल्हे 94, दुर्गुकोंदल, डुवा में साढ़े दस बजे तक वोटिंग शुरू नहीं हो पाई थी.



1. माहौल: 'आपने न्यूटन फिल्म देखी है?'

छत्तीसगढ़ में जब पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार थमने वाला था, उसके कुछ घंटे पहले भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह रायपुर में पार्टी का घोषणा पत्र जारी कर रहे थे.

चौथी बार राज्य में सरकार बनाने का दावा कर रहे अमित शाह ने कहा, "छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी उपलब्धि अगर रमन सिंह सरकार की है, तो नक्सलवाद पर रमन सिंह सरकार ने नकेल कसने का काम किया है. लगभग-लगभग छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कराने का काम किया है."

इसके अगले ही दिन प्रदेश के कांकेर में छह धमाके हुए जिसमें बीएसएफ के एक सब-इंस्पेक्टर की जान चली गई.

अमित शाह के इस दावे के बाद कोंटा विधानसभा के एक मतदान केंद्र पर चुनावी ड्यूटी के लिए तैनात सत्येंद्र देवांगन से हमारी फ़ोन पर बात हुई.

उन्होंने सीधा सवाल पूछा, "आपने पिछले साल 'न्यूटन' फ़िल्म देखी थी, जो ऑस्कर के लिये गई थी?"

मेरे जवाब का इंतज़ार किए बग़ैर उन्होंने ख़ुद बोलना शुरू कर दिया, "हालात 'न्यूटन' जैसे ही हैं. फोर्स बहुत है लेकिन माओवादियों का बहुत डर है. लगता नहीं कि कोई वोट देने आएगा. लेकिन कोई लिख कर देने वाला भी नहीं है कि वोट देने कोई नहीं आएगा."
छत्तीसगढ़: चुनावों में क्या नोटा तय करेगा राजनीति की दिशाइमेज कॉपीरइटMUKESH CHANDRAKAR

हेलीकॉप्टर से भेजे गए मतदान दल

सत्येंद्र उन लोगों में शामिल हैं, जिनकी ड्यूटी उन गंभीर रूप से माओवाद प्रभावित इलाकों में लगी है, जहां की 18 विधानसभा की सीटों पर सोमवार को मतदान हो रहे हैं. शनिवार को इन सीटों पर प्रचार प्रसार का अंतिम दिन था.

कोंटा में बुरकापाल, भेज्जी, जगरगुण्डा, गोलापल्ली, किस्टाराम, चिन्तागुफा, चिन्तलनार, नरसापुरम वो इलाके हैं, जो माओवादियों की बड़ी हिंसा के केंद्र रहे हैं.

इन सभी केंद्रों पर शनिवार को सेना के हेलीकॉप्टर से मतदान दल को भेजा गया है.

इन 18 विधानसभाओं के लिए कम से कम 650 मतदान दलों को शनिवार को सेना के हेलीकॉप्टरों से रवाना किया गया.

अधिकांश मतदान दलों ने कड़ी सुरक्षा के बीच थाना या सुरक्षाबलों के कैंप में अपनी रात गुजारी, जहां से सुविधानुसार उन्हें मतदान केंद्रों पर भेजा गया.इमेज कॉपीरइटMUKESH CHANDRAKAR

2. चुनौती: शांतिपूर्ण मतदान की

माओवादियों के चुनाव बहिष्कार के बीच मतदान दल कहीं पैदल तो कहीं हेलीकॉप्टर से पहुंचे हैं.

बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और राजनांदगांव की इन 18 सीटों पर शांतिपूर्ण चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है.

यही कारण है कि इन इलाकों में चुनाव के लिए सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं.

31 लाख से अधिक मतदाताओं वाली इन 18 सीटों पर सुरक्षाबलों के लगभग डेढ़ लाख जवान तैनात किए गए हैं.

इन 18 विधानसभा सीटों में से 12 सीट अनुसूचित जनजातियों और एक सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है.इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGESImage captionफाइल फोटो

कई इलाकों में आदिवासियों ने मांग की थी कि मतदान के दौरान उनकी उंगलियों पर अमिट स्याही न लगाई जाए. इससे वे माओवादियों के आक्रोश से बच सकते हैं. बात केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंची लेकिन इस दिशा में कुछ हो नहीं पाया.

यही कारण है कि बड़ी संख्या में संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों को दूसरी जगहों में शिफ्ट कर दिया गया है.

माओवादी हिंसा के मद्देनज़र मोहला-मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मतदान के लिये सुबह 7 बजे से दोपहर 3 तीन बजे तक का समय निर्धारित किया गया.

राज्य के विशेष पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी दृढ़ता के साथ दावा करते हैं कि चुनाव के लिये सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं.

राज्य के चुनाव आयुक्त सुब्रत साहू का भी दावा है कि अधिक से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करें, चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है.

लेकिन हाल में एक के बाद एक तीन बड़ी माओवादी हिंसा की घटनाओं ने बहुत साफ़ संकेत दे दिया है कि चुनाव की राह बहुत आसान नहीं है.

पिछले पखवाड़े भर में माओवादियों की हिंसा में सुरक्षाबलों के 8 जवानों समेत कुल 16 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.

पिछली विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादियों ने 30 जगहों पर बारूदी विस्फोट किया था और कई जगहों से ईवीएम लूटकर ले भागे थे.

इन अनुभवों से सीखते हुये पिछले दस दिनों में ही सुरक्षाबलों ने 300 से भी अधिक जगहों से बारुदी सुरंग या आईईडी बरामद की है.